दुनिया के हादसों से तुने मुझे बचा के
बेमौत मार डाला एहसां जता जता के.
तेरा चमकते सूरज एहसान मैं न लूंगा
कर लूंगा मैं उजाला खुद अपना घर जला के.
मैं टूट भी गया तो मुझमें चमक रहेगी
आईना पत्थरों से कहता है मुस्कुरा के.
तुझसे बिछड के आलम में हम जी नही सकेंगे
देखो दगा ना देना अपना मुझे बना के.
No comments:
Post a Comment