दिल के दीवारों दर पे क्या देखा
बस तेरा नाम ही लिखा देखा
तेरी आखों में हमने क्या देखा
कभी कातिल कभी खुदा देखा
अपनी सुरत लगी पराई सी
जब कभी हमने आईना देखा
हाय अंदाज तेरे रूकने का
वक्त को भी रूका रूका देखा
तेरे जाने में और आने में
हमने सदियों का फ़ासला देखा
फिर ना आया खयाल जन्नत का
जब तेरे घर का रास्ता देखा
सुदर्शन फ़ाकिर
No comments:
Post a Comment