हर एक रूह में

हर एक रूह में एक ग़म छुपा लगे है मुझे
ये जिंदगी तो कोई बददुआ लगे है मुझे

न जाने वक़्त की रफ़्तार क्या दिखाती है?
कभी कभी तो बडा ख़ौफ़ सा लगे है मुझे

अब एक-आध कदम का हिसाब क्या रखे?
अभी तलक तो वही फ़ासला लगे है मुझ

दबाके आई है सिने में कौन सी आहें
कुछ आज रंग तेरा सांवला लगे है मुझे



जाँ निसार अख़्तर

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