उर्दु साहित्य में ग़ज़लों का अपना एक अलग ही महत्त्व हैं।
ग़ज़लें जीवन के हर पहलू को स्पर्श करती आई है।
चाहे वो ख़ुशी हो या ग़म, प्यार हो या शिकवा गिला, यारी हो या दुश्मनी, जीवन के हर भाव को अपने शब्दों में बयाँ करती है ग़ज़लें।
यहाँ उर्दु तथा हिन्दी के कुछ जाने माने साहित्यकारों की रचनाओं को आप तक पहुँचाने कि एक कोशिश करना चाह रहा हूँ।
आशा है आप इसे बढ़ाने में अपनी राय एवं अपना योगदान ज़रूर देंगे।
जब किसी से
जब किसी से कोई गिला रखना सामने अपने आईना रखना
यूं उजालों से वास्ता रखना शमा के पास ही हवा रखना
घर की तामिर चाहे जैसी हो इसमें रोने की कुछ जगह रखना
मिलना जुलना जहा ज़रूरी हो मिलने ज़ुलने का हौसला रखना
2 comments:
घर की तामिर चाहे जैसी हो
इसमें रोने की कुछ जगह रखना
Ganesh
kya baat hai
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