जब किसी से

जब किसी से कोई गिला रखना
सामने अपने आईना रखना

यूं उजालों से वास्ता रखना
शमा के पास ही हवा रखना

घर की तामिर चाहे जैसी हो
इसमें रोने की कुछ जगह रखना

मिलना जुलना जहा ज़रूरी हो
मिलने ज़ुलने का हौसला रखना

निदा फ़ाज़ली.

2 comments:

Ganesh D said...

घर की तामिर चाहे जैसी हो
इसमें रोने की कुछ जगह रखना

Ganesh

BHIMSHREE said...

kya baat hai