अपने होठों पर सजाना चाहता हूं
आ तुझे मैं गुनगुनाना चाहता हूं
कोई आसू तेरे दामन पर गिराकर
बूंद को मोती बनाना चाहता हूं
थक गया मैं करते करते याद तुझको
अब तुझे मैं याद आना चाहता हूं
छा रहा हैं सारी बस्ती में अंधेरा
रोशनी को घर जलाना चाहता हूं
आखरी हिचकी तेरे शानों पे आये
मौत भी मैं शायराना चाहता हूं
कतील शिफ़ाई.
2 comments:
is gajal ki dunia me aap jaise sireas log bhut km milte kya gajal likhi hai aapne hm aapke deewane ho gye
kya bat sir aapne to dil ki bat ko jba pr la diya vikash dausa
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