कच्ची दीवार हूं

कच्ची दीवार हूं ठोकर ना लगाना मुझको
अपनी नज़रों में बसा कर ना गिराना मुझको

तुम को आंखों में तसव्वुर की तरह रखता हूं
दिल में धडकन की तरह तुम भी बसाना मुझको

बात करने में जो मुश्किल हो तुम्हें महफ़िल में
मैं समझ जाऊंगा नज़रों से बताना मुझको

वादा उतना ही करो जितना निभा सकते हो
ख़्वाब पूरा जो ना हो वो ना दिखाना मुझको

अपने रिश्ते की नज़ाकत का भरम रख लेना
मैं तो आशिक़ हूं दिवाना ना बनाना मुझको

असरार अंसारी.

यूं तेरी रहगुज़र से दिवानावार गुज़रे

यूं तेरी रहगुज़र से दिवानावार गुज़रे
कांधे पे अपने रख के अपना मज़ार गुज़रे

बैठे रहे हैं रास्ता में दिल का ख़ंडर सजा कर
शायद इसी तरफ़ से एक दिन बहार गुज़रे

बहती हुई ये नदिया घुलते हुए किनारे
कोई तो पार उतरे कोई तो पार गुज़रे

तू ने भी हमको देखा हमने भी तुमको देखा
तू दिल ही हार गुज़रा हम जान हार गुज़रे

मीना कुमारी.

हुस्न जब मेहेरबां हो तो क्या कीजिये

हुस्न जब मेहेरबां हो तो क्या कीजिये
इश्क़ की मग्फिरत की दुआ कीजिये

इस सलीक़े से उन से गिला कीजिये
जब गिला कीजिये हंस दिया कीजिये

दूसरों पे अगर तबसीरा कीजिये
सामने आईना रख लिया कीजिये

आप सुख से हैं तर्क-ए-त'अल्लुक़ के बाद
इतनी जल्दी ना ये फैसला कीजिये

कोई धोखा न खा जाये मेरी तरह
ऐसे खुल के न सबसे मिला कीजिये

अक़्ल-ओ-दिल अपनी अपनी कहें जब खुमार
अक़्ल की सुनीये दिल का कहा कीजिये

ख़ुमार बाराबंकवी.

ऐ मोहब्बत

ऐ मोहब्बत तेरे अंजाम पे रोना आया
जाने क्यों आज तेरे नाम पे रोना आया

यूं तो हर शाम उम्मिदों में गुजर जाती थी
आज कुछ बात है जो शाम पे रोना आया

कभी तकदीर का मातम कभी दुनिया का गिला
मंजिल-ए-इश्क़ में हर दाम पे रोना आया

जब हुआ जिक्र जमाने में मोहब्बत का शकिल
मुझको अपने दिल-ए-नादान पे रोना आया

शकिल बदायुनी.

राक्षस था, न खुदा था पहले

राक्षस था, न खुदा था पहले
आदमी कितना बडा था पहले

आस्मां, खेत, समुंदर सब लाल
खून कागज पे उगा था पहले

मैं वो मक्तूल, जो कातिल ना बना
हाथ मेरा भी उठा था पहले

अब किसी से भी शिकायत न रही
जाने किस किस से गिला था पहले

शहर तो बाद में वीरान हुआ
मेरा घर खाक हुआ था पहले

निदा फ़ाज़ली.